षिक्षा मनोविज्ञान और षिक्षकरू षिक्षा की सम्पूर्ण प्रक्रिया में अध्यापक की भूमिका प्रमुख है। अध्यापक षिक्षण प्रक्रिया के द्वारा बालक का विकास करता है। षिक्षा मनोविज्ञान का उदेष्य षिक्षक को बालक के चहुँमुखी विकास करने में षिक्षण में सहायता करता है। बालकों के विकास हेतु कक्षा में व्यकितगत व सामूहिक रूप से कक्षा में होने वाली प्रक्रियाओं में भाग लेते है। षिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को विधार्थियों के व्यवहार को उन्नत करने तथा कक्षा में प्रगति करने के अवसर प्रदान करता है। षिक्षण प्रक्रिया व षिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन करने से पहले किसी भी अध्यापक को अपने विधार्थी के विषय में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए षिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को आयु की विभिन्न अवस्थाओं में बालक के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक व संज्ञानात्मक विकास के मील के पत्थरों से परिचित कराता है। विकास को समझकर अध्यापक उनके अनुरूप षिक्षण विधि का चयन कर अधिगम अनुभव प्रदान करता है।
षिक्षा मनोविज्ञान बालकों की व्यकितगत विभिन्नताओं से अध्यापक को परिचित कराता है। उसे बालक के विकास में आनुवांषिकता और परिवेष के तुलनात्मक प्रभाव की भी जानकारी प्रदान करता है। एक अध्यापक को षिक्षण की सफलता के लिए उसे व्यकितगत विभिन्नताओं की सीमा और स्वरूप की जानकारी आवष्यक है। षिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक का विकास की विभिन्न अवस्थाओं पर विधार्थियों के व्यवहारों से सयपरिचित कराता है तािक उनकी जन्मजात शकितयों को समझने में सहायता प्राप्त हो सके। इसके साथ षिक्षा मनवोविज्ञान विषिष्ट बालकों (प्रतिभाषाली, बालक, विकलांग बालक, समस्यात्मक बालक, पिछड़े बालक, बाल आपराधी आदि) की षिक्षा में सहायता प्रदान करता है। अध्यापक बालक के विकास के लिए, बालक में प्रेरणा उत्पन्न किए बिना कुछ नहीं कर सकता। यह प्रेरणा कैसे उत्पन्न की जाए, यह कठिन समस्या है। षिक्षा मनोविज्ञान के द्वारा अध्यापक इस समस्या को सुलझाने का प्रयास करता है। अध्यापक अभिप्रेरणा के द्वारा विधार्थियों में अधिगम की इच्छा, उनकी आवष्यकताओं की पूर्ति, मार्गप्रदर्षन व रूचि एवं योग्यताओं का विकास करता है। अभिप्रेरणा की विभिन्न विधियों से अवगत होकर व्यकितगत विभिन्नताओं के सदंर्भ में उनके अधिगम को आधार प्रदान करता है।
Meenakshi Sharma